कालसर्प दोष के उपाय

काल सर्प दोष क्या होता है

कालसर्प दोष के उपाय :- यह किसी जातक की कुंडली पर एक दुर्भाग्य पूर्ण ज्योतिषीय स्थिति है जो की जातक के जीवन में दुर्भाग्य लाती है |

इस स्थिति में जातक से सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आकर एक ऐसी प्रस्थिति बनाते है जिससे जातक के अथक प्रयास भी उसे जीवन में सफलता प्रदान नहीं कर पाते | इस दोष का प्रभाव जातक के शरीर, मनदशा, वैवाहिक जीवन एवं धन पर पड़ता है | हर जगह से केवल नकारात्मक परिणाम ही हाथ लगते है | विवाह में देरी, संतान सुख से वंचित , अप्रिय वैवाहिक सम्बन्ध, आर्थिक तंगी, व्यापार में हानि, शारीरिक व्याधियां एवं कमजोरी, मानसिक शान्ति का अभाव ये सब इस दोष के कुप्रभावों में शामिल है |

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काल सर्प दोष हेतु मुख्य उपाय

इस दोष के दुष्प्रभाव इस बात पर निर्भर करते है कि जातक के ग्रह किस प्रकार से राहु केतु के बीच में है | विद्वान जातक को यह सुझाव देते है की वो शिघ्रादिशिघ्र अपने ज्योतिष से संपर्क करके इस दोष के प्रभावों को समझे और उसके निस्तारण हेतु कदम उठाये | यह कदम जातक के जोरमर्रा के जीवन में छोटे छोटे बदलाव या सुझाव भी हो सकते है | आइये जानते ही कुछ प्रभुक उपायों के बारे में |

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हमारे शास्त्रज्ञाता इस दोष के बचने हेतु निम्न उपायों का सुझाव देते है |

पीपल के पेड़ को पानी देना

काल सर्प दोष से प्रकोपों से बचने के लिए इससे आसान उपाय ही शायद कोई होगा जसिके अंतर्गत जातक को प्रति शनिवार पीपल के पेड़ पर पानी चढ़ाना होता है | यह बड़ा ही सुगम तरीका है जिसे जातक अपने रोजमर्रा के जीवन में अपना सकते है |

भगवान शिव की आराधना करना

भगवान शिव की आराधना करना इन जातको के लिए अति लाभदायक सिद्ध होता है | प्रति शनिवार अथवा हर पंचमी को नदी में ११ नारियल फल चढ़कर भगवान शिव के आराधना करनी चाहिए | काल सर्प गायत्री मंत्र के उच्चारण भी इस दोष के निवारण में मदद करता है |

नियमित मंत्रोच्चारण करना

मन में भगवान शिव के ध्यान करते हुए प्रतिदिन १०८ बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जातक के जीवन में काल सर्प दोष का निवारण होता है | मंत्रोच्चारण से जातक को मन की शान्ति तो होती ही है लेकिन यही साथ में उसके जीवन से काल सर्प दोष हरने वाला भी बन जाता है |

नाग पंचमी को व्रत धारण करना

इस दोष के जातकों को नाग पंचमी को भगवान नाग देवता की पूजा करते हुए व्रत रखना चाहिए | यही कारण है कि इस दोष के लगभग सभी जातक इस व्रत को धारण करते है|

काल सर्प दोष निवारण पूजा

उपर्युक्य बताये गए सभी उपाय हालंकि प्रभावी है परन्तु काल सर्प दोष निवारण पूजा इस सभी उपायों में सर्वोपरि है | इस पूजा के माध्यम से जातक के ग्रहों को शांत करके जातक की कुंडली में इस दोष का प्रभाव कम एवं समाप्त भी किया जा सकता है |

भारतवर्ष में इस पूजा क्या आयोजन मुख्यतः नासिक शहर के त्रयंबकेश्वर मंदिर में की जाती है | यहाँ इस पूजा के आयोजन का विशेष महत्व है और इसलिए कई जातक इसी मंदिर में काल सर्प पूजा का आयोजन करते है | इस पूजा के अंतर्गत भगवान शिव की आराधना की जाती है | यह पूजा किसी शुभ मुहूर्त में तथा किसी विद्वान एवं अनुभवी पंडित के देख रेख में होनी चाहिए | हम आपको गुरु जी श्री रविशंकर पंडित जी से यह पूजा करवाने की सलाह देते है | आप उनसे तुरंत संपर्क करके अपने लिए पूजा निर्धारित कर सकते है |

निष्कर्ष

यदि आपको भी यह दुविधा हो रही है कि आपके जीवन में काल सर्प दोष का प्रभाव हो सकता है | आप बिना देरी के अपनी दुविधा का सरल उपाय कर सकते है | इसके लिए आप निशुल्क सलाह पा सकते है | आपको उपरोक्त उपायों में से कौन से अपने जीवन में लाने है तथा कौन से उपाय आपके लिए सबसे अधिक लाभकारी होगा, यह सब बातें तय की जा सकती है | आप पंडित श्री रवि शंकर जी से सुझाव ले सकते है जो आपकी जीवन शैली के अनुसार आपको इस दोष के निवारण के लिए मार्गदर्शित कर सकते है और यदि आवश्यकता हुई तो गुरु जी आपके कुंडली के अनुसार आपको पूजा की तिथि एवं शुभमुहूर्त भी बता सकते है | इससे आप अपने अनुसार पूजा के लिए समय निकालकर इस पूजा का आयोजन कर सकते हैं | इसके उपरान्त आप अपनी कई परेशानियों से मुक्त होकर एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते है |

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Ravi Shankar Guruji

वेद शास्त्र संपन्न आचार्य श्री रवि शंकर गुरुजी इनका परिवार 120 साल से त्रिम्बकेश्वर मे काल सर्प दोष निवारण केंद्र, त्रिम्बकेश्वर मंदिर के पीछे रहेते है| गुरुजी को २५ साल का अनुभव है| गुरुजी काल सर्प पूजा मे विशारद है, उन्होने २२००० से ज़्यादा काल सर्प की पूजाए की है और सभी यजमानोको १००% संतुष्टि दी है| सभी यजमान जो काल सर्प पूजा करके जाते है उन्हे तुरंत कुछ दीनो मे अच्छे रिज़ल्ट मिलने शुरू हो जाते है|
पूरे भारत मे सिर्फ़ त्रिम्बकेश्वर मे ही काल सर्प पूजा की जाती है क्योंकि त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता है, जिसमें भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रुद्र का प्रतीक है।

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