विषधार कालसर्प योग के असर, उपाय और निवारण

काल सर्प दोष क्या होता है

विषधार कालसर्प योग : काल सर्प दोष का निर्माण तब होता है जब सारे ग्रह राहु व केतु के बीच होते है | ये सारे ग्रह राहु और केतु से ग्रसित होते है | राहु चंद्रमा का उत्तरी ध्रुव है जबकि केतु चन्द्रमा का ही दक्षिणी ध्रुव है | काल सर्प दोष में इन्हीं दो ध्रुवों के बीच में ही सारे ग्रह आ जाते है और कुंडली में पूर्ण काल सर्प दोष की दशा में आधी कुंडली में कोई भी ग्रह नहीं दिखाई देता है | यह दोष जातक के जीवन में अनगिनत समस्याएं उत्पन्न करता है |

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कुंडली में कैसे दिखता है काल सर्प दोष ?

काल सर्प दोष में जातक की कुंडली में आधे हिस्से में कोई भी ग्रह नहीं होता | इसका कारण यह है कि जातक के सारे ग्रह सौर्य मंडल में एक सीध में हो जाते है | यदि एक भी ग्रह राहु केतु अक्ष रेखा के बाहर होता है तब जातक के कुन्डली में काल सर्प योग नहीं होता है| किसी भी कुंडली में १२ घर होते है और हर घर की अपनी जिम्मेदारी होती है|

उदाहरण के लिए कुंडली में स्थित सातवां घर वैवाहिक जीवन को दर्शाता है | इसी तरह से सभी १२ घरो की अपनी अपनी विशेषतायें होती है और ग्रह इन घरों में अपनी उपस्थिति से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रभाव डालते है | काल सर्प दोष की दशा में सभी ग्रह कुंडली के एक ही अर्ध भाग में समाहित होते है |

आइये अब जानते है इनमें से विषधार काल सर्प दोष के बारे में |

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विषधार कालसर्प योग

ऐसी मान्यता है कि जब कोई व्यक्ति की पूर्व जन्म में अकाल मृत्यु हुई हो और उसके मन में कुछ आकांक्षाएं रह गयी हों तो वह व्यक्ति वर्तमान जीवन में उन इच्छाओं को पूर्ण करना चाहता है, ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में विषधार काल सर्प दोष पाया जाता है |

जब जातक की कुंडली में राहु ग्यारवे घर में और केतु पांचवें स्थान में उपस्थित हो एवं बाकी सारे ग्रह इनके बीच मंद ही हो तो इस प्रकार का कालसर्प योग होता है।

विषधार कालसर्प योग के असर

  • इस योग में जातक को अपने जीवन साथी से सहयोग नहीं मिलता | जातक और उसके जीवन साथी के बीच हमेशा मन मुटाव बना रहता है और धीरे डेरे उसके सम्बन्धो में खटास आ जाती है | यह खटास तलाक तक भी जा सकती है |
  • यह दोष संतान सुख के लिए कष्टकारी है, ऐसे जातक अपने बच्चों से भी नाखुश रहते है
  • उच्च शिक्षा में बाधा आती है |
  • आय अर्जित करने के लिए जरुरत से अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है |

विषधार कालसर्प योग के उपाय

  • भगवान शिव की नियमित आराधना करें |
  • राहु मन्त्र का जाप करके पक्षियों को जौ के दाने खिलाएं |
  • श्रावण माह में रुद्राभिषेक एवं महामृत्युंजय जाप करें |
  • यदि व्यक्ति नियमित रूप से भगवान शिवजी की पूजा अर्चना करता है उसके सभी प्रकार के सर्प दोष निष्प्रभावी हो जाते है | इसलिए जातक को चाहिए कि वह अपना समस्त ध्यान शिव जी के चरणों में लगाए और एकाग्रचित मन से अपने कार्य करे , अवश्य लाभ होगा |

विषधार कालसर्प योग के जातक क्या न करें

अब बात करते है कि विषधार काल सर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति क्या न करें ?

  • जातक अपने व्यापारिक या व्यक्तिगत जीवन में उधर लेने व देने से बचें |
  • जातक अपने और अपने जीवन साथी के बीच एक असामंजस्य की स्थिति न पैदा होने दे |

विषधार कालसर्प योग का निवारण

यदि आप अपना समय और पैसा बचाते हुए इस दोष का हल चाहते है तो आप तुरंत पंडित श्री रविशंकर जी से निशुल्क जानकारी ले सकते है | इस दोष के कई बुरे प्रभावों के बारे में हमने आपको बताया और ये भी बताया कि ये आपके जीवन को कैसे तहस नहस कर सकते है | इन कुप्रभावों से बचने के लिए आप अपने जीवन शैली के अनुसार उपाय चुन सकते है | भगवान शिव की आराधना करना ही इन उपायों में सर्वोत्तम है | जातक को शिव की आराधना करने के लिए नासिक शहर के समीप स्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर पहुँचता चाहिए और काल सर्प योग नामक पूजा करवानी चाहिए | इस पूजा से इस दोष से मुक्ति मिल सकती है | यह पूजा किसी विद्वान पंडित के देख रेख में संपन्न होनी चाहिए | ऐसे ही किसी जानकार पंडित से पहले आप अपनी कुंडली के अनुसार पूजा का मुहूर्त तय कर लें | हम आपको इस पूजा को श्री रवि शंकर गुरु जी से करवाने का सुझाव देंगे | गुरु जी को इस पूजा का अपार अनुभव प्राप्त है और शास्त्रों एवं कर्मकांडो के महाज्ञाता भी है |

इस पूजा से पहले आपको अपनी जन्मकुंडली पंडित जी से साझा करके उनके राय जाननी चाहिए | इस निशुल्क जानकारी में पंडित जी आपकी कुंडली में उपस्थित दोषों एवं उनके निराकरणों के बारे में विस्तार से बताएँगे |

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Ravi Shankar Guruji

वेद शास्त्र संपन्न आचार्य श्री रवि शंकर गुरुजी इनका परिवार 120 साल से त्रिम्बकेश्वर मे काल सर्प दोष निवारण केंद्र, त्रिम्बकेश्वर मंदिर के पीछे रहेते है| गुरुजी को २५ साल का अनुभव है| गुरुजी काल सर्प पूजा मे विशारद है, उन्होने २२००० से ज़्यादा काल सर्प की पूजाए की है और सभी यजमानोको १००% संतुष्टि दी है| सभी यजमान जो काल सर्प पूजा करके जाते है उन्हे तुरंत कुछ दीनो मे अच्छे रिज़ल्ट मिलने शुरू हो जाते है|
पूरे भारत मे सिर्फ़ त्रिम्बकेश्वर मे ही काल सर्प पूजा की जाती है क्योंकि त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता है, जिसमें भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रुद्र का प्रतीक है।

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