वासुकि कालसर्प योग के असर, उपाय और निवारण

काल सर्प दोष क्या होता है ?

वासुकि कालसर्प योग : कालसर्प एक ऐसा योग है जो किसी व्यक्ति जीवन में उसके पूर्व जन्म के किसी घोर अपराध के दंड या किसी के द्वारा दिए गए शाप के फलस्वरूप उस व्यक्ति की जन्मकुंडली में परिलक्षित होता है।इस योग से पीड़ित व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान होता है, मुख्यत उसको संतान संबंधी कष्ट होता है। या तो उसे संतान का सुख मिलता ही नहीं, और अगर मिल भी जाये तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है। उसकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। उसे अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है। अलग अलग तरह के रोगों से परेशान परेशान रहता है |

चलिए अब आपको बताते है कि कैसे किसी जातक की कुंडली में काल सर्प दोष के होने का पता चलता है और कैसे दिखता है आखिर काल सर्प योग ?

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कुंडली में कैसे दिखता है कालसर्प दोष ?

आखिर वह क्या स्थिति है जिसमें किसी कुंडली को देखकर हम यह बता सकें की इसमें काल सर्प योग है | जातक की कुंडली में काल सर्प योग एक विशेष स्थिति है जिसमे जातक की जन्म कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते है| इसे आम भाषा में ऐसा भी कहा जाता है कि राहु और केतु ने सभी ग्रहों को ग्रसित कर लिया है |
ग्रहों के स्थिति के अनुसार काल सर्प योग कुल बारह प्रकार का हो सकता है |

आइये जानते है इनमें से वासुकि काल सर्प दोष के बारे में |

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वासुकि कालसर्प योग

किसी जातक की जन्मकुंडली में वासुकि काल सर्प योग तब होता है जब राहु तीसरे घर में विराजमान हो तथा केतु नवें घर में उपस्थित हो एवं बाकी सारे ग्रह इनके बीच में ही हों |

वासुकि कालसर्प योग के असर

वासुकि कालसर्प योग के बड़े बुरे असर जातक के जीवन में दिखाई देते है | इस योग के कारण जातक अपने परिवार के सदस्यों के कारण बहुत सारी समस्याओं का सामना करता है और ये जातक अपने माता, पिता एवं परिवार के अन्य कई सदस्यों का खर्चा उठाता है और उनके भरण पोषण का सारा दायित्व निभा सकते है। इसी के कारण जातक का बहुत सारा धन अपने परिवार को संवारने में लग जाता है |

आइये हम बात करेंगे इनमें से कुछ मुख्य दुष्प्रभावों के बारे में :

  • इस योग में जातक को अपने भाई बहिन से सहयोग नहीं मिलता और उनसे झगड़ा हो सकता है |
  • दोस्तों और रिश्तेदारों से अक्सर धोखा पाते है |
  • घर में अशांति बनी रहती है |
  • जातक के जीवन में आर्थिक समस्याएं आती है |
  • अथक प्रयासों के वाबजूद भी जातक को सफलता नहीं मिलती |

वासुकि कालसर्प योग के उपाय

जिन जातकों की कुंडली में वासुकि काल सर्प योग हो उन्हें निम्न उपायों का अनुसरण करके की राय दी जाती है |

  • ४० दिनों तक हनुमान चालीसा या बजरंग बान का जाप
  • शनिवार को चांदी से बना राहु यन्त्र धारण करना |
  • हर मंगलवार सुबह को नागराज अंगूठी को धारण करके मंत्रोचारण करना |
  • नागपंचमी के अवसर पर व्रत रखें व नाग देवता की आराधना
  • भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करें |

वासुकि कालसर्प योग के जातक क्या न करें

जिन जातकों की कुंडली में वासुकि काल सर्प योग हो उन्हें किन चीज़ों से बचना चाहिए |

  • सिगरेट, बीड़ी व मदिरा का सेवन न करें |
  • पुरानी वस्तुओं जैसे कपडे आदि को धारण न करें |
  • दूसरों की सलाह पर बिना सोचे समझे निवेश न करें |

वासुकि कालसर्प योग का निवारण

वासुकि कालसर्प योग हेतु जातक को भगवान शिव वन्दना करनी चाहिए लेकिन इस विशेष दोष के लिए आप किसी जानकार पंडित जी से काल सर्प पूजा अवश्य करवाएं | ऐसा करने से इस दोष के नकारात्मक प्रभावों का असर समाप्त होगा और जातक के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे | इस पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान है त्र्यम्बकेश्वर मंदिर | यह मंदिर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में शामिल है | यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक शहर के पास है और किसी भी शुभ दिन को यहाँ पूजा की जा सकती है | आप अपनी कुंडली पंडित श्री रविशंकर जी को भेजिए और पूजा से सम्बंधित सारी जानकारी निशुल्क प्राप्त कीजिये | श्री पंडित जी इस पूजा को कई जातकों के लिए करवा चुके है और उन जातकों के जीवन में बदलाव आये है और वे आज अपना जीवन खुशहाली से जी रहे है |

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Ravi Shankar Guruji

वेद शास्त्र संपन्न आचार्य श्री रवि शंकर गुरुजी इनका परिवार 120 साल से त्रिम्बकेश्वर मे काल सर्प दोष निवारण केंद्र, त्रिम्बकेश्वर मंदिर के पीछे रहेते है| गुरुजी को २५ साल का अनुभव है| गुरुजी काल सर्प पूजा मे विशारद है, उन्होने २२००० से ज़्यादा काल सर्प की पूजाए की है और सभी यजमानोको १००% संतुष्टि दी है| सभी यजमान जो काल सर्प पूजा करके जाते है उन्हे तुरंत कुछ दीनो मे अच्छे रिज़ल्ट मिलने शुरू हो जाते है|
पूरे भारत मे सिर्फ़ त्रिम्बकेश्वर मे ही काल सर्प पूजा की जाती है क्योंकि त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता है, जिसमें भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रुद्र का प्रतीक है।

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